Zoho CEO Sridhar Vembu का भारतियों के लिए संदेश, आर्थिक परिवर्तन के लिए जाएं विदेश

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Image Credit: Zoho X

बहुत से लोगो का मानना है कि अगर देश का टैलेंट विदेश जाएगा तो इससे देश को नुकसान होगा लेकिन Zoho CEO Sridhar Vembu के विचार इससे बिल्कुल अलग है। उनके अनुसार अगर भारतीय युवा माइग्रेशन करेंगे तो इससे हमारी इकोनॉमी को कोई भी नुकसान नहीं होगा बल्कि इससे भारत में Positive Economic Change देखने को मिलेगा। इससे पूर्व Zoho के CEO वेम्बु ने भारतीय युवाओं को सलाह दी थी कि उन्हे विदेशों की बजाय देश में ही रहकर तकनीकी क्षमताएं विकसित करनी चाहिए। माइग्रेशन पर जोहो के सीईओ का दृष्टिकोण काफी आशावादी हैं। आइये जानते हैं डिटेल्स:

भारत के लिए जरूरी है आत्मनिर्भरता

Zoho CEO Sridhar Vembu के अनुसार भारत के लिए जरूरी है कि वो अपनी व्यापारिक और तकनीकी क्षमताओं को अंदर से मजबूत करें। जब तक देश में नई तकनीके विकसित नहीं होगी तब तक उत्पादों और सेवाओं से संबंधित विदेशी निर्भरता भी खत्म नहीं होगी और ऐसी दशा में देश विकास नहीं कर सकता। उन्होंने पोस्ट के जरिए बताया कि अगर विश्व में असली सम्मान प्राप्त करना है तो भारतीय प्रतिभाओं को भारत में रहकर ही क्षमताओं का विकास करना होगा। विदेश की उपलब्धियां हासिल करने से कोई लाभ नहीं होगा।

कौन हैं श्रीधर वेम्बु?

श्रीधर वेम्बु भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी जोहो के सीईओ और संस्थापक है। उनकी कंपनी की नींव 1996 में रखी गई, जिसका मुख्यालय तमिलनाडु में है। इस समय श्रीधर की कंपनी सब्सक्रिप्शन मॉडल के जरिए 150 देश में सॉफ्टवेयर और इससे संबंधित सर्विसेज प्रदान करती है। तमिलनाडु के तंजावुर जिले के एक छोटे से गांव में रहने वाले श्रीधर वेम्बु ने 1989 में आईआईटी मद्रास से इलेक्ट्रिकल में इंजीनियरिंग की और फिर वो न्यूजर्सी चले गए। 

जहां उन्होंने प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में MS और PHD की डिग्री प्राप्त की। श्रीधर ने अपने प्रोफेशनल करियर की शुरुआत की एक साधारण कर्मचारी के तौर पर। उनके पास कोई बड़ा साम्राज्य नहीं था उसके बावजूद उन्होंने अच्छा खासा फंडिंग खड़ा कर लिया है। Forbes पत्रिका के अनुसार 2021 तक Sridhar Vembu Net Worth 3.75 अरब डॉलर थी। 

जब किया नौकरी छोड़ने का फैसला

श्रीधर वेम्बु ने पीएचडी करने के बाद एक अच्छी कंपनी में आईटी इंजीनियरिंग के पद पर नौकरी की लेकिन अचानक उन्होंने भारत लौटने का फैसला लिया। इस फैसले से उनके परिवार वाले काफी परेशान हुए और उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की क्योंकि उनकी नौकरी बहुत अच्छी थी लेकिन वेम्बु का मन बिजनेस शुरू करने में लग चुका था और उन्होंने भारत आकर अपना काम शुरू कर दिया। अपने भाई के साथ मिलकर 1996 में एक सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट कंपनी एडवेंटनेट नेट शुरू की और 13 साल बाद इस कंपनी का नाम बदलकर जोहो कॉरपोरेशन रखा। करीब 2 दशकों तक वेम्बु ने Zoho का संचालन किया।

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Sridhar Vembu Family

Zoho के संस्थापक श्रीधर वेम्बु तमिलनाडु के एक मध्यम वर्गीय परिवार से थे। आज भी उनका जीवन काफी साधारण है। इतनी संपत्ति के मालिक होने के बावजूद वो साइकिल से चलते हैं। श्रीधर वेम्बु की पत्नी प्रमिला श्रीनिवासन ChARM हेल्थ की CEO हैं। मेडिकलमाइन इंक और द ब्रेन फाउंडेशन की स्थापना प्रमिला श्रीनिवासन की है।

श्रीधर वेम्बु और उनकी पत्नी का एक बेटा है उनका नाम सिद्धार्थ श्रीनिवासन है। लगभग एक वर्ष पहले पत्नी की तरफ से श्रीधर वेम्बु पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया था। प्रमिला ने अमेरिका के कैलिफोर्निया की अदालत में एक याचिका दायर की लेकिन वेम्बु ने इन आरोपों से इनकार कर दिया और अपने परिवार पर आए संकट के लिए अपने चाचा को जिम्मेदार ठहराया। 

भारतियों के लिए संदेश

वेम्बु ने अपने पोस्ट के जरिए बताया कि भारतीय प्रतिभाओं के माइग्रेशन से उन्हें कोई चिंता नहीं क्योंकि 1970 और 80 के दशक में कोरिया और ताइवान की प्रतिभाओं का अमेरिका में पलायन चरम पर था। जिसके बाद दोनों देशों की अच्छी ग्रोथ हुई। करीब 10 साल पहले चीन से भी प्रतिभाओं का पलायन काफी ज्यादा था और इन सभी देशों का विकास भी बहुत तेजी से हुआ।

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