Mt Vasudevan Nair: मलयालम इंडस्ट्री डूबी शोक में, सितारों ने दी भावपूर्ण श्रद्धांजलि

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Mt Vasudevan Nair मलयालम फिल्म इंडस्ट्री का जाना माना चेहरा थे। वो न सिर्फ दिग्गज कलाकार थे बल्कि एक बेहतरीन साहित्यकार भी थे। ज्ञानपीठ पुरस्कार के विजेता वासुदेवन का कल बुधवार 25 दिसंबर को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। निधन के समाचार से पूरी मलयालम इंडस्ट्री शोक में डूब गई। उनके निधन पर कमल हसन, मोहनलाल सहित बहुत से फिल्म सितारों ने श्रद्धांजलि दी है। मलयालम सिनेमा जगत के लिए ये एक दुख भरी खबर है। आपको बता दें कि वासुदेवन नायर 91 वर्ष के थे। उनके द्वारा मलयालम फिल्म जगत को दिया गया योगदान कभी नहीं भुलाया जा सकता। 

Mt Vasudevan Nair का परिचय

MT Vasudevan Nair

Source: Wikimedia Commons

1933 में केरल के पलक्कड़ जिले में MT Vasudevan Nair का जन्म हुआ था।  इन्होंने ऐसी साहित्यिक दुनिया की रचना की जिसने आम नागरिकों के साथ-साथ बहुत से बुद्धिजीवियों को भी आकर्षित किया। इनका साहित्य के क्षेत्र में 7 दशकों से अधिक का योगदान रहा। 1957 में Vasudevan Nair ने “मातृभूमि साप्ताहिक” में सब एडिटर के पद पर कार्यभार संभाला। ये वो समय था जब इन्होंने साहित्य के क्षेत्र में कदम रखा। साहित्य के क्षेत्र में के योगदान की बात करें तो इन्होंने अब तक 19 लघु कथा संग्रह, 54 पटकथाएं, 9 उपन्यास और बहुत से निबंध और संस्मरण संग्रह भी लिखे हैं। 

मिला राष्ट्रीय पुरस्कार

MT Vasudevan Nair के द्वारा लिखी गई लेख इतने फेमस हुए कि उन्हें 1989 के ‘ओरु वडक्कन वीरगाथा’, 1991 के ‘कदावु’,1992 के ‘सदायम’, और 1994 के ‘परिणयम’ के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी दिया गया। इनका विवाह 1965 में प्रमिला के साथ हुआ जो कि एक लेखिका और ट्रांसलेटर थी। ये विवाह ज्यादा नही चला और 11 वर्ष बाद दोनों लोग अलग हो गए। इसके बाद 1977 में इन्होंने कलामंडलम सरस्वती से दोबारा विवाह किया, वो एक प्रसिद्ध नृत्यांगना थी। 

लिखी ऐतिहासिक फिल्में

वासुदेवन अद्भुत प्रतिभा के धनी और असाधारण लेखक थे। वो मलयालम सिनेमा जगत में पटकथा लेखन में नई क्रांति लाये। उन्होंने बहुत सी ऐतिहासिक फिल्में भी लिखी। कुछ फिल्मों का निर्देशन भी वासुदेवन ने ही किया। 1974 में उन्होंने सबसे पहले “निर्मलयम” फिल्म का निर्देशन किया। इस फिल्म ने सर्वश्रेष्ठ फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीता। उन्हें उपन्यास लिखना बहुत पसंद था।

कम उम्र से ही उनके अंदर कमाल की लेखन कला थी। मात्र 29 साल की उम्र में उन्होंने असुरविथु जैसी सर्वश्रेष्ठ मलयालम उपन्यास की रचना की। उनकी बहुत सी कृतियों का ट्रांसलेशन अंग्रेजी में भी किया गया है। ऐसा माना जाता है कि एमटी वासुदेवन भारत के ऐसे लेखक थे जिनकी कृतियों का अनुवाद सबसे ज्यादा क्षेत्रीय भाषाओं में किया गया। 1995 में उन्हें उनकी कृतियों के लिए ज्ञानपीठ का पुरस्कार भी दिया गया। 

प्रधानमंत्री और राष्टृपति ने प्रकट किया शोक

मलयालम इंडस्ट्री का जाना माना नाम थे MT Vasudevan Nair, इनका निधन फिल्म इंडस्ट्री के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वासुदेवन के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।  उन्होंने अपने ऑफिशियल एक हैंडल X पर पोस्ट किया उन्होंने वसुदेवन के परिजनों के लिए अपनी संवेदनाएं जाहिर की हैं। 

देश की राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू की तरफ से भी उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी गई है। उन्होंने अपने X पोस्ट पर उनकी रचनाओं की प्रशंसा करते हुए लिखा कि उनकी रचनाओं से ग्रामीण भारत को भी जीवन मिला। उन्हें पद्मभूषण का सम्मान दिया गया मेरी संवेदनाएं उनके परिवार की सदस्यों के साथ है। 

मुख्यमंत्री ने किया शोक व्यक्त

मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने MT Vasudevan Nair के निधन पर अपनी संवेदनाए व्यक्त की। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान जारी किया जिसके अनुसार 26 और 27 दिसंबर को वासुदेवन नायर के निधन पर आधिकारिक तौर से सम्मान और शोक प्रकट किया जाएगा।  केबिनेट बैठक के 26 दिसंबर के सभी सरकारी कार्यक्रम स्थगित कर दिए गए हैं।

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