Gold Card US Scheme में करें निवेश, ₹43.5 करोड़ में तुरंत मिलेगी US की नागरिकता!

Gold Card US Scheme में करें निवेश, तुरंत मिलेगी US की नागरिकता, भारतीयों को पढ़ सकती है भारी!
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Gold Card US Scheme का जिक्र अमेरिकी राष्ट्रपति Donald Trump ने बीते 25 फरवरी को किया था। यह US Immigrants Gold Card स्कीम 5 मिलियन डॉलर की होगी। इसके माध्यम से अमेरिका में नागरिकता प्राप्त करना बहुत ही आसान हो जाएगा। चलिए विस्तार से जानते हैं क्या है Gold Card Scheme?

Gold Card Scheme से पाए अमेरिका की नागरिकता

Gold Card Scheme को US Gold Card Visa के नाम से भी जान सकते हैं। जहां एक तरफ Donald Trump अवैध प्रवासियों को अपने देश से निष्कासित कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ अमीरों को यहां बसाने का आमंत्रण देना यह साफ करता है कि आने वाले समय में अमेरिका में केवल पैसे वाले अप्रवासी ही रह सकते हैं। आने वाले कुछ हफ्तों में गोल्ड कार्ड(Gold Card) मिलने शुरू हो जाएगे, जिसमें ग्रीन कार्ड से ज्यादा फायदे होंगे।

जितना ज्यादा निवेश उसी को मिलेगी प्राथमिकता

Donald Trump की ये मल्टीटास्किंग स्किल वाकई में हैरान कर देने वाली है। एक तरफ अमेरिका में घुसपैठियों की खोज की जा रही है, वहीं दूसरी तरफ विभिन्न देशों के साथ शांति वार्ताएं की जा रही है। ये सिलसिला भी अभी खत्म नहीं हुआ था कि ट्रंप एक और स्कीम लेकर आ गए हैं जो दौलतमंद व्यापारियों के लिए सीधा आमंत्रण होगी। इसमें रूस के अमीर भी शामिल हो सकते हैं। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप ने 5 मिलियन डॉलर का गोल्ड कार्ड लांच कर दिया है, जो ग्रीन कार्ड का Pro Version है लेकिन इसके लिए अच्छा खासा निवेश करना होगा।

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क्या अमेरिका में भी शुरू होगी CBI? 

CBI मतलब Citizenship By Investment जो सदियों से पूरी दुनिया में चलता आ रहा है। अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी इसी पैटर्न पर काम करना चाहते हैं। भले ही ट्रंप इसे गोल्ड कार्ड या प्रीमियम कार्ड कह रहे हो लेकिन 19वीं सदी से इस तरह की स्कीम चली आ रही है। विशेष तौर पर यूरोपियन शासको की तरफ से ये स्कीम उन अमीर व्यापारियों के लिए शुरू की गई थी जो बेहतर देश में जाकर बसना चाहते थे। इसके लिए उन्हें पैसा खर्च करना होता था।

जब युद्ध हुए तो इस स्कीम का और ज्यादा प्रसार हुआ। पिछले 4 दशकों से अधिक समय में भी अलग-अलग देश में CBI स्कीम शुरू की जा चुकी है जैसे कि सेंट लूसिया, डोमिनिका, सेंट किट्स एंड नेविस, तुर्की और माल्टा देश। CBI Scheme की वजह से दुनिया भर के अमीर इन देशों की नागरिकता ले रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि Donald Trump भी अपने देश में ज्यादा निवेश करने के लिए गोल्ड कार्ड जैसी स्कीम लेकर आ रहे है।

अमेरिका चाहता है Russian Investors

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जब ट्रंप ने गोल्ड कार्ड स्कीम का ऐलान किया तो रूस के Billionaires का भी जिक्र हुआ। जिससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि अमेरिका चाहता है कि उसके देश में रूस के अमीर लोग इन्वेस्टमेंट करें। साफ तौर पर देखा जा सकता है कि आने वाले समय में अमेरिका की तरफ से रूस पर लगाई गई पाबंदियां भी खत्म की जा सकती है। 

आपको बता दें वर्ष 2024 के आंकड़े कहते हैं की पूरी दुनिया में रूस का पांचवा स्थान है जहां सबसे ज्यादा अमीर लोग रहते हैं। रूसी अमीरो के Investments से अमेरिकी बाजार को भी फायदा मिल सकता है। ज्ञात हो कि ट्रंप ने आते ही जन्म के आधार पर मिलने वाली नागरिकता को खत्म करने का ऐलान कर दिया था। अमेरिका में सबसे बड़ी आबादी इसी की है।

बदले की 35 साल पुरानी व्यवस्था

इस समय में अमेरिका में स्थाई तौर पर रहने के लिए ग्रीन कार्ड की जरूरत होती है इस समय अमेरिका में EB-1, EB-2, EB-3, EB-4 और EB-5 जैसे Visa Program चलाए जा रहे हैं। इनमें से EB-5 वीजा प्रोग्राम काफी बेहतर माना जाता है जो 1990 से लागू किया गया है। इसके तहत व्यक्ति अमेरिका में कहीं भी रहकर काम या फिर पढ़ाई कर सकते हैं। इस Visa को हासिल करने में 4 से 6 महीने लगते हैं। 

EB-4 Visa Program निवेशकों के लिए है, जिसका मकसद ज्यादा से ज्यादा Outside Investments हासिल करना है। इस स्कीम में कम से कम 1 मिलियन डॉलर का निवेश करके 10 Jobs Generate करनी होती है। इस Scheme के तहत निवेशक अपने पति/पत्नी या 21 वर्ष से कम उम्र के बच्चो के साथ अमेरिका की स्थाई नागरिकता हासिल कर सकते हैं। 

Indians पर Gold Card Scheme का असर? 

मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो अमेरिका मैं रहने वाले अधिकतर भारतीय EB-5 प्रोग्राम पर डिपेंडेंट थे उनके लिए Donald Trump का गोल्ड कार्ड विजा प्रोग्राम (Gold Card Visa Scheme) काफी महंगा पड़ने वाला है। इतना ही नहीं यदि EB5 प्रोग्राम खत्म हो जाएगा तो भारतीय प्रोफेशनल्स को भी काफी नुकसान हो सकता है। गोल्ड कार्ड स्कीम की शुरुआत के साथ इमीग्रेशन सिस्टम भारतियों के लिए नई चुनौती खड़ी कर सकता है क्योंकि बहुत कम ही लोग इतनी भारी कीमत चुका पाएंगे।

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