Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2025: आखिर क्या है मराठा सम्राट का इतिहास?

Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2025 आखिर क्या है मराठा सम्राट का इतिहास
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Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2025: हर वर्ष 19 फरवरी को छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती मनाई जाती है। शिवाजी महाराज मराठा सम्राट के सबसे वीर और कुशल योद्धाओं में से एक थे। उनकी शौर्य गाथा, इतिहास के पन्नों में अमर हो चुकी है। हर मराठा शिवाजी का नाम बेहद गर्व के साथ लेता है। पूरे महाराष्ट्र में ही नहीं बल्कि पूरे भारत देश में उनकी वीरता के किस्से प्रचलित है। अद्भुत योद्धा और रणनीतिक बुद्धिमत्ता के लिए जाने जाते थे छत्रपति शिवाजी महाराज। आईए जानते हैं शिवाजी भोसले कैसे बनें छत्रपति शिवाजी महाराज? 

Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2025: क्यों मनाई जाती है

शिवाजी महाराज के जन्म के बारे में बहुत सी भ्रांतियां हैं जैसे कुछ लोगो का मानना है कि उनका जन्म 6 अप्रैल 1627 को हुआ था लेकिन महाराष्ट्र सरकार के अनुसार 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी किले में जन्मे थे शिवाजी महाराज। उनके पिता का नाम था शाह जी भोसले, जो बीजापुर के सेनापति थे। उनकी मां जीजाबाई ने उन्हें बचपन से ही धर्म, नैतिकता और युद्ध कौशल की शिक्षा प्रदान की थी। उनकी मां ने महाभारत और रामायण की कहानियां सुनाकर उनके अंदर एक महान योद्धा बनने का बीज बोया था।

छत्रपति शिवाजी महाराज का इतिहास (History of Chhatrapati Shivaji

Maharaj

Chhatrapati Shivaji Maharaj, Maratha Empire के संस्थापक के रूप में जाने जाते हैं। उनकी मजबूत सेना और स्वराज्य के सिद्धांत काफी प्रचलित है। छोटी ही उम्र में राजनीति और युद्ध की रणनीतियां सीखने की वजह से 1674 में उन्हें छत्रपति का ताज पहना दिया गया और मराठा साम्राज्य का अधिकार दे दिया गया। उन्होंने अपने शासनकाल में बीजापुर सल्तनत (Bijapur Sultanate), मुगल सल्तनत (Mughal Sultanate) और पुर्तगाल की शक्तियों (Portuguese Power) को चुनौती दी और एक स्वतंत्र मराठा राज्य की स्थापना करने के लिए बहुत संघर्ष किया। उनके दुश्मनों के खिलाफ छापा मारा युद्ध तकनीकी (Guerilla Warfare) काफी प्रचलित हुई। 

शिवाजी ने 1659 में पुणे में शाइस्ता खान जो कि औरंगजेब के मामा थे और बीजापुर सेना को परास्त किया। 1664 में उन्होंने ही सूरत के मुगल व्यापारिक बंदरगाह पर कब्जा किया। इसके अलावा शिवाजी और राजा जयसिंह प्रथम ने 1665 में बीच पुरंदर की संधि पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके अनुसार मराठो के कई किले मुगलों को सौंपे जायेंगे। इस संधि के तहत औरंगजेब से मुलाकात के लिए वो तैयार हुए और 1666 में वह आगरा मे मुगल सम्राट औरंगजेब से मिलने गए। लेकिन उन्हें महसूस हुआ कि औरंगजेब ने उनका अपमान किया है तो वो भरे दरबार से बाहर आ गए।

इसके बाद औरंगजेब की सेना ने उन्हें गिरफ्तार करके बंदी बना लिया। इस घटना के बाद 1670 तक मराठों और मुगलों के बीच कोई भी युद्ध नहीं हुआ। जब मुगलों ने संभाजी को दी गई बरार की जागीर वापस ली तो इसके जवाब में शिवाजी ने चार महीने के अंदर ही मुगलों के कई क्षेत्रों पर हमला करके उन पर कब्जा कर लिया। 1679 का संगमनेर का युद्ध मुगल साम्राज्य और मराठा के बीच लड़ा गया, ये शिवाजी महाराज का आखिरी युद्ध माना जाता है। 3 अप्रैल 1680 को मराठा का ये महान योद्धा मृत्यु को प्राप्त हुआ।

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युद्ध काल में 300 से ज्यादा किलो पर किया कब्जा

छत्रपति शिवाजी महाराज सभी धर्मों का सम्मान करने वाले थे। उनका शासन काल इतना मजबूत था कि उन्होंने युद्ध करने के दौरान 300 से ज्यादा किलो पर कब्जा किया था। इनमें शामिल है रायगढ़, प्रतापगढ़ और सिंहगढ़ का किला और इसी के चलते वह एक मजबूत सेना खड़ी करने में कामयाब हुए। 

शिवाजी जयंती का महत्व (Importance of Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti) 

देश के वीर योद्धाओं में से एक थे छत्रपति शिवाजी महाराज। उनकी युद्ध नीतियां इतनी प्रसिद्ध हुई कि हमारी भारतीय सेना (Indian Armed Forces) और राजनीति के लिए प्रेरणा बनी। यही वजह है कि भारतीय राजनीति के लिए आज का दिन काफी महत्वपूर्ण होता है।  खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल X पर छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती के लिए पोस्ट किया।

कांग्रेस के ऑफिशियल X-Page पर भी छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती के अवसर पर एक भावुक पोस्ट लिखा गया और सभी को बधाई दी गई। 

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